You Are With Shubhra
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रिमझिम रिमझिम !!

बहुत दिनों के बाद वो बारिश का मौसम आया

जिसका इंतज़ार पलता है मुझे किसी सपने की तरह

मैं एक दिन पहले ही ख्वाब में ढूँढ लेती हूँ

बारिश की उन् बिखरी हुई बूंदों को

मैं मुस्कुराती हूँ किसी बच्चे की तरह

मैं मन ही मन खिलखिलाती हूँ


खिड़की के बाहर देखती हूँ उन् चेहरों को

गीली मिटटी में सने जो आईने से लगते है


छोटी सी कागज़ की कश्ती बना कर जिसमें

शहर भर की सैर किया करते थे


वो खुली आंखों से खूबसूरत ख्वाब बुनना

कल आने वाली बातों में आज का खोना


हर बरसात दिल में कुछ अरमान जगाती है

सोई हुई ख्वाहिशों की प्यास बुझाती है


मैं खुश हूँ की जो आज बारिश ने समां बाँधा है

देख रही हूँ दिल में धड़कन का प्रवाह कुछ ज्यादा है ।