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अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दे - सुदर्शन फकीर


अगर हम कहें और वो मुस्कुरा दे
हम उनके लिए जिंदगानी लुटा दे


हर एक मोड़ पर हम गमो को सज़ा दे
चलो ज़िंदगी को मोहब्बत बना दे

अगर ख़ुद को भूले टू कुछ भी न भूले
की चाहत में उनकी खुदा को भुला दे

कभी गम की आंधी जिन्हें छू न पाई
वफाओ के हम वो नशेमन बना दे

क़यामत के दीवाने कहते है हमसे
चलो उनके चहरे से परदा हटा दे

सज़ा दे सिला दे बना दे मिटा दे
मगर वो कोई फैसला टू सुना दे.